हालांकि, **चीन** ने हमेशा अपने **आर्थिक पैकेज** और **वाणिज्यिक प्रस्तावों** के जरिए अन्य देशों के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश की, लेकिन इन पैकेजों में स्थिरता की कमी और अंतर्निहित **सुरक्षा चिंताओं** के कारण कई देशों ने चीन से दूरी बनानी शुरू कर दी थी। **भारत** के लिए भी चीन ने कई **आर्थिक पैकेज** और निवेश के प्रस्ताव दिए थे, लेकिन अधिकांश प्रस्तावों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी।
अब, चीन ने एक नया मोड़ लेते हुए **भारत** से नजदीकी बढ़ाने की योजना बनाई है। इससे पहले चीन और भारत के रिश्तों में **2017 डोकलाम संकट**, **2020 लद्दाख झड़प** और **सीमा विवाद** के कारण तनाव देखा गया था, लेकिन अब चीन अपनी आर्थिक नीति में बदलाव करते हुए **भारत के साथ बेहतर रिश्ते** बनाने की दिशा में कदम बढ़ा रहा है।
ट्रंप के बाद चीन का भारत की तरफ बढ़ता कदम
**डोनाल्ड ट्रंप** के राष्ट्रपति बनने के बाद **अमेरिका** और **चीन** के बीच व्यापार युद्ध ने वैश्विक बाजारों को हिलाकर रख दिया था। **अमेरिका** ने **चीन** पर कई **आर्थिक प्रतिबंध** लगाए थे और **चीन** के व्यापारिक महत्व को चुनौती दी थी। इसी बीच **भारत** और **चीन** के रिश्तों में भी तनाव देखा गया था।
**ट्रंप** के सख्त रुख ने चीन को सोचने पर मजबूर किया, और उसने अपनी रणनीति में बदलाव किया। अब, **जो बाइडन** के राष्ट्रपति बनने के बाद, **चीन** के लिए आर्थिक और व्यापारिक मोर्चे पर नई चुनौतियां सामने आई हैं, खासकर **अमेरिका** के साथ **नई रणनीति** के तहत।
चीन को डर था कि अगर उसने **भारत** के साथ रिश्तों में सुधार की दिशा में कदम नहीं उठाए तो वह **भारत के बढ़ते वैश्विक प्रभाव** को नजरअंदाज नहीं कर सकता था। इसके अलावा, **भारत** की **बाजार** क्षमता और **ग्लोबल सप्लाई चेन** में उसकी **मुख्य भूमिका** भी चीन के लिए आकर्षक थी।
चीन-भारत रिश्तों की स्थिति
चीन और भारत के बीच **आर्थिक संबंधों** में हमेशा एक अनिश्चितता बनी रही है, लेकिन अब चीन ने भारत के साथ अपने **व्यापारिक रिश्तों को सुधारने** की कोशिश शुरू की है। चीन की तरफ से **भारत को बड़े आर्थिक पैकेज** देने की बातें सामने आईं हैं, लेकिन यह प्रस्ताव अब तक व्यवहारिक रूप में नहीं आ सके हैं।
भारत और चीन के बीच व्यापार घाटा बड़ा है, और चीन ने अपने आर्थिक पैकेजों के जरिए इस घाटे को कम करने की कोशिश की थी, लेकिन भारत ने **चीन से आयात** में लगातार वृद्धि के बावजूद **स्थिरता और आत्मनिर्भरता** को प्राथमिकता दी है। भारत ने **चीन से आयात** कम करने के बजाय **स्थानीय उद्योगों** को बढ़ावा देने की दिशा में कदम बढ़ाए हैं, और चीन को इस क्षेत्र में **विकसित** और **स्थिर बाजार** के तौर पर दिखाया है।
चीन ने **भारत के बाजार** को एक महत्वपूर्ण **वाणिज्यिक अवसर** माना है, और इसके साथ ही, **भारत को सहयोग** देने की दिशा में सकारात्मक कदम उठाने की कोशिश की है।
चीन का भारत की तरफ नजदीकी बढ़ाना
चीन का भारत के साथ नजदीकी बढ़ाने का कदम कई रणनीतिक कारणों से महत्वपूर्ण है। सबसे पहले, **भारत की बढ़ती शक्ति** और **वैश्विक व्यापार नेटवर्क** के साथ साझेदारी चीन के लिए फायदेमंद हो सकती है। **भारत-प्रशांत** क्षेत्र में **चीन** की बढ़ती भूमिका और **अमेरिका** के साथ **संघर्ष** ने चीन को यह संकेत दिया कि उसे **भारत को अपने पक्ष में लाने** की जरूरत है।
इसके अलावा, **भारत का टेक्नोलॉजी सेक्टर**, **मानव संसाधन**, और **स्वतंत्र रूप से बढ़ती हुई विदेशी निवेश धाराएं** चीन के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं। **भारत-चीन आर्थिक सहयोग** से न केवल **चीन के व्यापारिक हितों** को फायदा हो सकता है, बल्कि **भारत की अर्थव्यवस्था** को भी मजबूती मिल सकती है।
भारत और चीन के रिश्तों का भविष्य
हालांकि, **भारत-चीन रिश्तों** में **अतीत के विवाद** और **सीमा संघर्ष** का असर लंबे समय तक रहेगा, लेकिन **दोनों देशों के आर्थिक हित** के चलते यह संभावना जताई जा रही है कि दोनों देशों के बीच रिश्तों में **नया मोड़** आ सकता है। **चीन** के लिए यह जरूरी है कि वह **भारत से अच्छे रिश्ते** बनाए रखें ताकि वह अपने **वैश्विक व्यापार** में **अवरोध** से बच सके।
**भारत** ने हमेशा से अपनी **स्वतंत्र विदेश नीति** के तहत चीन के साथ संबंधों को **संतुलित** रखने की कोशिश की है। **चीन का भारत के साथ नजदीकी बढ़ाना** एक सकारात्मक कदम हो सकता है, लेकिन इसके लिए दोनों देशों को अपने **वैश्विक और क्षेत्रीय** विवादों को **सुलझाने** के उपायों पर ध्यान देना होगा।
**निष्कर्ष:** **चीन**
ने अब **भारत** के साथ अपने रिश्तों को **नवीन दिशा** में बढ़ाने की कोशिश की है, खासकर जब से **ट्रंप** के दौरान चीनी व्यापार पर दबाव बढ़ा था। यह कदम चीन की आर्थिक रणनीतियों और **भारत** की **बाजार क्षमता** से जुड़े हैं। अब, दोनों देशों को मिलकर **संघर्षों को कम करके** एक स्थिर और समृद्ध व्यापारिक संबंध स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे।